Thursday, November 3, 2011

"एक मुक्तक" (विद्या)

एक मुक्तक
बेसबब कोई कभी रोता नही।
नूर आँखों का कोई खोता नहीं।
दीप-बाती का मिलन तो व्यर्थ है,
स्नेह जब तक साथ में होता नहीं।

17 comments:

  1. बहुत सुन्दर, बधाई.

    ReplyDelete
  2. बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  3. अरे वाह!
    आपने तो बहुत सुन्दर मुक्तक लिखा है!
    मगर पोस्ट लगाने में विलम्ब क्यों करती हैं आप!

    ReplyDelete
  4. लाज़वाब भाव...बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर और सटीक बात कही है ..

    ReplyDelete
  6. बहुत ही सुन्दर क्षणिका है विद्या जी ! बधाई !

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  8. प्रभावशाली रचना...
    शुभकामनायें आपको !

    ReplyDelete
  9. वाह! खूबसूरत मुक्तक है

    ReplyDelete
  10. बेहतरीन प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  11. रोता नहीं है कोई भी किसी और के लिए
    सब अपनी अपनी किस्मत को ले लेकर खूब रोते हैं
    प्यार की दौलत को कभी छोटा न समझना तुम
    होते है बदनसीब ,जो पाकर इसे खोते हैं

    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/

    ReplyDelete
  12. Nyc lines mam

    form ceo of http://www.pztheshayar.com

    ReplyDelete

मैं अपने ब्लॉग पर आपका स्वागत करती हूँ! कृपया मेरी पोस्ट के बारे में अपने सुझावों से अवगत कराने की कृपा करें। आपकी आभारी रहूँगी।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

लिखिए अपनी भाषा में