Thursday, June 30, 2011

Maa माँ 30.06.11


माँ 

माँ शब्द दिल से  कहते ही मानों हमारा सारे दुःख दूर हो जाते  है |
मानों हमें दुनिया का सुख मिल जाता है !"माँ " हमें सबसे जयादा 
प्यार करती है ||
माँ घर मे सबसे पहले उठती है /सबके लिय खाना आदि  बनाती है
सबके जरुरत का ध्यान रखती है/समय समय पर सब का काम करती है 
 माँ प्यार , दया और ममता की मूर्ति  है ! माँ कभी अपने कर्तब्यो
 से मुह  नाहे मोड़ती |वह घर मे सबको  मिलकर  रहना है |बच्चो के सुख 
को ही अपना  सुख मानतीहै |वह कभी  किसी  से गुस्सा नही करती |
कोई गलत बात बोले तो भी चुप हीरहती है |फिर भी उसका भला ही चाहती  है
हमने भगवान  को नही देखा |पर हम अपनी माँ में ही भगवान को देख सकते है |


11 comments:

  1. Vidhya ji -bahut sundar bhavon ko abhivyakt kiya hai .aap ki is post ko maine ''http://pyarimaan.blogspot.com'' par prastut kiya hai .aap is url par aakar avlokan karen .aabhar

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  2. बहुत सुंदर.. मुनव्वर राना की दो लाइने याद आ रही हैं

    मां मेरे गुनाहों को कुछ इस तरह से धो देती है
    जब वो बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है ।।

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  3. maa hoti hi aisi hai....yeh shabd hi apne aap mein prem ka sagar hai.
    aapke blog par aa kar accha laga.aabhar

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  4. माँ से बढकर भी कुछ हो सकता है।

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  5. वाह ! कितनी सुन्दर पंक्तियाँ हैं ... मन मोह लिया इस चित्र ने तो !

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  6. कितनी सुंदर पोस्ट .....माँ से अच्छा कुछ नहीं....

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  7. well vidhya jee...your blog is informative and interesting...

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  8. bahut achchi hai aapki yah rachna..
    mere bhi blog me aaye aur achchha lage to jarur follow karen.
    www.pradip13m.blogspot.com

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  9. ब्लॉग़जगत में आपका स्वागत है...

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मैं अपने ब्लॉग पर आपका स्वागत करती हूँ! कृपया मेरी पोस्ट के बारे में अपने सुझावों से अवगत कराने की कृपा करें। आपकी आभारी रहूँगी।

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