मुक्तक में तो विरह व्यथा है, मगर दिल बहुत खिलखिला रहा है!--अच्छा समन्वय किया है आपने चित्र और रचना का!यह आपकी अच्छी भावनाओं को प्रकट करता है!
हरेक आंसू की एक कहानी होती है।बिल्कुल सही।सुंदर कविता।
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 05-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||सादर --रविकर ||
सुंदर प्रस्तुति ,अच्छी रचना
बहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति बधाई.श्रमजीवी महिलाओं को लेकर कानूनी जागरूकता.पहेली संख्या -४४ का परिणाम और विजेता सत्यम शिवम् जी
धोखा खाने के बाद ही ...प्रेम का असली स्वाद मिलता हैसच में गाँव में ही प्यार है ,स्नेह है ....और सजनी का प्रेम भी
सुंदर कविता!!!
bahut sundar v sarthak prastuti .aabhar
Bahut hi sunder....sach mohabbat isi ka nam hai...!
shabd ro rahe hain..dil muskura raha hai...pyar per poora bharosa ho tabhi aisa hota hai..behtarin rachna..mere blog per bhi aapka swagat hai
प्यार का दर्द जब हद्द से ज्यादा होता है तो यूँ ही छलकता है सुन्दर अभिव्यक्ति
आंसुओं का काम है बहना, ये बहाने वाले की जिम्मेदारी है... रुचिकर थीम ....... साधुवाद जी /
आँखों में आसूँ आ जाते हैं !फिर भी लबो पे हँसी रखनी पड़ती हैं !!वाह.... सादर...
हरेक आंसू की एक कहानी होती है।...भावपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति
भावपूर्ण रचना
bhaavpurn prstuti....
भावमय प्रस्तुति ....
भावपूर्ण द्वन्द और व्यथा ! बहुत ही गहराई और मह्सुसियत से लिखी गई रचना.. आभारविद्या जी.. विशेष आभार मेरे साथ जुड़ने के लिए !
दिल को छु लेनी वाली रचना बधाई !!आभार विजय -----------कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
मैं अपने ब्लॉग पर आपका स्वागत करती हूँ! कृपया मेरी पोस्ट के बारे में अपने सुझावों से अवगत कराने की कृपा करें। आपकी आभारी रहूँगी।
मुक्तक में तो विरह व्यथा है,
ReplyDeleteमगर दिल बहुत खिलखिला रहा है!
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अच्छा समन्वय किया है आपने चित्र और रचना का!
यह आपकी अच्छी भावनाओं को प्रकट करता है!
हरेक आंसू की एक कहानी होती है।
ReplyDeleteबिल्कुल सही।
सुंदर कविता।
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 05-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
ReplyDeleteसादर --
रविकर ||
सुंदर प्रस्तुति ,अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति बधाई.
ReplyDeleteश्रमजीवी महिलाओं को लेकर कानूनी जागरूकता.
पहेली संख्या -४४ का परिणाम और विजेता सत्यम शिवम् जी
धोखा खाने के बाद ही ...प्रेम का असली स्वाद मिलता है
ReplyDeleteसच में गाँव में ही प्यार है ,स्नेह है ....और सजनी का प्रेम भी
सुंदर कविता!!!
ReplyDeletebahut sundar v sarthak prastuti .aabhar
ReplyDeleteBahut hi sunder....
ReplyDeletesach mohabbat isi ka nam hai...!
shabd ro rahe hain..dil muskura raha hai...pyar per poora bharosa ho tabhi aisa hota hai..behtarin rachna..mere blog per bhi aapka swagat hai
ReplyDeleteप्यार का दर्द जब हद्द से ज्यादा होता है तो यूँ ही छलकता है
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
आंसुओं का काम है बहना, ये बहाने वाले की जिम्मेदारी है...
ReplyDeleteरुचिकर थीम ....... साधुवाद जी /
आँखों में आसूँ आ जाते हैं !
ReplyDeleteफिर भी लबो पे हँसी रखनी पड़ती हैं !!
वाह....
सादर...
हरेक आंसू की एक कहानी होती है।...भावपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना
ReplyDeletebhaavpurn prstuti....
ReplyDeleteभावमय प्रस्तुति ....
ReplyDeleteभावपूर्ण द्वन्द और व्यथा ! बहुत ही गहराई और मह्सुसियत से लिखी गई रचना.. आभार
ReplyDeleteविद्या जी.. विशेष आभार मेरे साथ जुड़ने के लिए !
दिल को छु लेनी वाली रचना
ReplyDeleteबधाई !!
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html