Monday, September 5, 2011

छुपा ले आसुओं में "




तेरी हर याद छिपा लेतें हैं।
दिल हर बात छिपा लेतें हैं।
हमको मिलते हैं प्यार में धोखे-
अपने ज़ज्बात छिपा लेते हैं।।

अपनी हर पीर छिपा लेते हैं।
नयन का नीर छिपा लेते है।
तेरी रुसवाई के डर से जानम-
तेरी तस्वीर  छिपा लेते हैं।।
इंतजार की घड़ियों को छिपा लेते हैं।
टूटी हुई लड़ियों को छिपा लेते हैं।
रोने का हक नहीं है हमको तो-
इसलिए वक्त की कड़ियों को छिपा लेते हैं।।

28 comments:

  1. वाह!
    बहुत खूब लिखा है आपने तो!
    दिल के ज़ज़्बात को बहुत सुन्दरता से पेश किया है आपने!
    --
    अच्छे मुक्तक लिखने के लिए आशीर्वाद!

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  2. बहुत ही बढ़िया।

    सादर

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  3. अध्यापकदिन पर सभी, गुरुवर करें विचार।
    बन्द करें अपने यहाँ, ट्यूशन का व्यापार।।

    छात्र और शिक्षक अगर, सुधर जाएँगे आज।
    तो फिर से हो जाएगा, उन्नत देश-समाज।।
    --
    अध्यापक दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  4. बहुत सुन्दर ,बेहतरीन अंदाज ..

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  5. अच्छी प्रस्तुति. मन के भाव शब्दों में उतर आये हैं

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  6. बहुत सुन्दर गज़ल
    वाह वाह

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  7. बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल....

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  8. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई|

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  9. bhaav poorn पोस्ट !
    तेरी हर याद छिपा लेतें हैं।
    दिल हर बात छिपा लेतें हैं।

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  10. अपनी हर पीर छिपा लेते हैं।
    नयन का नीर छिपा लेते है।
    तेरी रुसवाई के डर से जानम-
    तेरी तस्वीर छिपा लेते हैं।।

    ...बहुत खूब ! लाजवाब प्रस्तुति.

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  11. bahut kuch chipa hai :)
    sundar kavita

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  12. वाह! बहुत सुन्दर **लाजवाब प्रस्तुति.

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  13. रोने का हक नहीं है हमको तो-
    इसलिए वक्त की कड़ियों को छिपा लेते हैं।

    बहुत सुंदर विचार.

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  14. सुंदर भावाभिव्यक्ति।

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  15. बहुत सुन्दर सार्थक रचना
    आपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार

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  16. अच्छे अशआर लिखती हैं आप -

    तेरी हर याद छिपा लेतें हैं।
    दिल हर बात छिपा लेतें हैं।
    हमको मिलते हैं प्यार में धोखे-
    अपने ज़ज्बात छिपा लेते हैं।।

    बहुत सुन्दर भाव और अर्थ की बेहद सार्थक प्रेरक रचना .बधाई !

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  17. बुधवार, ७ सितम्बर २०११
    किस्मत वालों को मिलती है "तिहाड़".
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

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  18. अच्छी रचना...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.

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