Wednesday, August 31, 2011

ईद मुबारक

चाहत के जाम लेकर ,
दिलकश पयाम ले कर ,
खुशियां तमाम लेकर ,
फिर ईद आ गई है !

कोई भी शिकायत हो ,
कैसी भी अदावत हो ,
मन में न कुछ भी रखना ,
सबको गले लगाना,
ये जश्ने दोस्ती है ,
पैगामेज़िंदगी है ,
सबको यही खुशी है ,
कि ईद आ गई है ।
बच्चे उमंग में हैं ,
मस्ती तरंग में हैं ,
घर -घर से सेवईयों की ,
खुशबुयें उठ रही हैं ,
राहों पे हैं निगाहें ,
हर लब पे हैं दुआएं,
उठती हैं ये सदायें ,
लो , ईद आ गई है ।
 "सभी देशवासियों को ईद की मुबारकवाद!"

Tuesday, August 30, 2011

जुगनू क्यों चमकते हैं

शहरों में रहने वाले लोग जुगनुओं को नहीं देख पाते हैं, किन्तु अवकाशकाल में गाँव में हम इन कीड़ो को देख सकते हैं जो ग्रीष्म काल की संध्या के समय हलका नीला प्रकाश बिखेरते हैं! जुगनू के पेट में एक अवयव होता है! इन अवयवों में लूसिफेरिन (luciferin ) नामक पदार्थ ऑक्सीजन से मिलने पर प्रकाश उत्पन्न करता है! जुगनू और प्रकाशवान कीड़े प्रकाश- जन्तु परिवार में पंखदार, हल्के शरीर वाले झींगुर होते हैं, ये कीड़े भी रात को प्रकाश देते हैं, जब वे एक पौधे से दुसरे पौधे तक उड़ते हुए जाते हैं!

जुगनू अपनी मादा साथी को रिझाने के लिए जलता-बुझता है।
मैं सोचती हूँ. रंग और रोशनी मतलब तितली
रोशनी और अन्धेरा मतलब जुगनू
क्या इंसान जैसा ही कुछ कुछ मिलता है,रंग
रोशनी और अन्धेरा तीनों के बीच मैं इंसान
फिर भी सबकी अहमियत अपनी अपनी जगह
बस जीवन है येही क्या कम है जिसमें हम ये भेद करने मैं सछम हैं

Monday, August 29, 2011

चांद की सुन्दरता

चन्दा मामा आवो ना ,
साथ मुझे ले जावो ना.
बादल के घोड़े पर चढ़ कर
मुझे घुमा कर  लाओ ना.

तारो के संग आँख मिचोनी
मै खेल कर आवूंगा.
आसमान में ऊपर जाकर
सारे जग को देखूंगा.

रात चाँदनी में नाचूँगा,
गीत ख़ुशी के  गाऊँगा.
वापिस आते एक दुल्हनिया
परी देश से लाऊँगा.

Saturday, August 27, 2011

जरा छुम ले

सुनिए !!!
मन को मिलेगा सुकून 

Friday, August 26, 2011

अकबर बीरबल की कहानी




तोता ना खाता है ना पीता है


एक बहेलीये को तोते में बडी ही दिलचस्पी थी| वह उन्हें पकडता, सिखाता और
 तोते के शौकीन लोगों को ऊँचे दामों में बेच देता था| एक बार एक बहुत ही सुन्दर
 तोता उसके हाथ लगा| उसने उस तोते को अच्छी-अच्छी बातें सिखायीं उसे तरह-तरह
 से बोलना सिखाया और उसे लेकर अकबर के दरबार में पहुँच गया| दरबार में बहेलिये
 ने तोते से पूछा – बताओ ये किसका दरबार है? तोता बोला, “यह जहाँपनाह अकबर 
का दरबार है”| सुनकर अकबर बडे ही खुश हुए| वह बहेलिये से बोले, “हमें यह तोता
 चाहिये, बोलो इसकी क्या कीमत माँगते हो”| बहेलीया बोला जहाँपनाह – सब कुछ आपका है 
आप जो दें वही मुझे मंजूर है| अकबर को जवाब पसंद आया और उन्होंने बहेलिये को अच्छी
 कीमत देकर उससे तोते को खरीद लिया| 

महाराजा अकबर ने तोते के रहने के लिये बहुत खास इंतजाम किये| उन्होंने उस तोते 
को बहुत ही खास सुरक्षा के बीच रखा| और रखवालों को हिदायत दी कि इस तोते को 
कुछ नहीं होना चाहिये| यदि किसी ने भी मुझे इसकी मौत की खबर दी तो उसे फाँसी पर 
लटका दिया जायेगा| अब उस तोते का बडा ही ख्याल रखा जाने लगा| मगर विडंबना
 देखीये कि वह तोता कुछ ही दिनों बाद मर गया| अब उसकी सूचना महाराज को कौन दे? 

रखवाले बडे परेशान थे| तभी उन्में से एक बोला कि बीरबल हमारी मदद कर
 सकता है| और यह कहकर उसने बीरबल को सारा वृतांत सुनाया तथा उससे मदद माँगी| 

बीरबल ने एक क्षण कुछ सोचा और फिर रखवाले से बोला – ठीक है तुम घर जाओ 
महाराज को सूचना मैं दूँगा| बीरबल अगले दिन दरबार में पहुँचे और अकबर से कहा,
 “हुज़ूर आपका तोता…” अकबर ने पूछा – “हाँ-हाँ क्या हुआ मेरे तोते को?” बीरबल
 ने फिर डरते-डरते कहा – “आपका तोता जहाँपनाह…” हाँ-हाँ बोलो बीरबल क्या हुआ 
तोते को? “महाराज आपका तोता…|” बीरबल बोला| “अरे खुदा के लिये कुछ तो कहो
 बीरबल मेरे तोते को क्या हुआ”, अकबर ने खीजते हुए कहा| 


“जहाँपनाह, आपका तोता ना तो कुछ खाता है ना कुछ पीता है, ना कुछ बोलता है ना 
अपने पँख फडफडाता है, ना आँखे खोलता है और ना ही…” राज ने गुस्से में कहा –
 “अरे सीधा-सीधा क्यों नहीं बोलते की वो मर गया है”| बीरबल तपाक से बोला –
 “हुज़ूर मैंने मौत की खबर नहीं दी बलकि ऐसा आपने कहा है, मेरी जान बख्शी जाये”| 


और महाराज निरूत्तर हो गये| 


Thursday, August 25, 2011

दोस्ती पर

दिल  में  कुछ  नहीं  दर्द  के  सिवा ,
आँखों  में  कुछ  नहीं  आंसू  के  सिवा ,
दोस्त  तू  मत  साथ  छोड़ना,
ज़िन्दगी  में  कुछ  नहीं  तेरी  दोस्ती  के  सिवा .


दोस्ती  करो  तो  धोका  मत  देना ,
दुसरो  को  आंसू  का  तोहफा  मत  देना ,
दिल  से  रोये  कोई  ज़िन्दगी  भर ,
ऐसा  किसी  को  मोका  मत  देना ..


बिना  दर्द  के  आंसू  बहाए  नहीं  जाते ,
बिना  प्यार  के  रिश्ते  निभाए  नहीं  जाते ,
इ  दोस्त  याद  रखना  बिना  दिल  दिए  दिल  पाए  भी  नहीं  जाते .


Wednesday, August 24, 2011

प्यार में क्या क्या होता है

चल पड़ा जब से मिलन का ये सिला,
अब तो कोई भी शिकायत न गिला।
वो तो उल्फत में बेवफा निकले,
प्यार में दर्द मिला, कुछ न मिला।।

उठते ज़ज्बात में सच्चाई बहुत कम होती,
बहते दरिया में तो गहराई बहुत कम होती।

बेवफा लहरें हमेशा ही किनारों से दूर जाती हैं,
जिन्दगी यूँ ही सिसकती है, उम्र भर रोती।।

याद उनकी न हमारे जिगर से जाती है,
किन्तु उनको तो मेरी याद नहीं आती है।
जिनका दिल था कभी नाजुक फूलों जैसा,
चोट पहुँचा रहा पत्थर की तरह साथी है।। 

Tuesday, August 23, 2011

पल पल हर पल तेरी याद आती


कच्ची दिवार हूं, ठोकर ना लगाना मुझको,
अपनी नजरों में बसाकर ना गिराना मुझको,


तुमको आंखों में तस्वीर की तरह रखती  हूं,
दिल में धकड़न की तरह तुम भी बसाना मुझको,


बात करने में जो मुश्किल हो तुमको महफिल में,
मैं समझ जाऊंगा नजरों से बताना मुझको,


वादा उतना ही करो जितना निभा सकते हो,
ख्वाब पूरा जो ना हो वो ना दिखाना मुझको,


अपने रिश्ते की नजाकत का भ्रम रख लेना,
मैं तो आशिक हूं दिवाना ना बनाना मुझको...

Monday, August 22, 2011

चन्दा मामा

कलम और कॉपी लेकर ।
बैठे जब हम टेबल पर ॥
आसमान की ओर निहारा ।
चंदा मामा कितना प्यारा ||



तुझमें देखा अपना प्यार।
तारों में था नव श्रृंगार॥
चन्दा मामा घूम रहे थे ।
हमें प्यार से चूम रहे थे॥


चल रहे थे अपने पथ में ।
बैठे आसमान के रथ में ॥







Sunday, August 21, 2011

जन्माष्टमी पर कृष्ण के रंग

जन्माष्टमी के लिए दो दिनों में "रोहिणी नक्षत्रके रूप में मनाया जाता है.अष्टमी एक ही दिन पर नहीं गिर सकता है. पहले दिन Krishnashtami के रूप में जाना जाता है, भगवान श्री कृष्ण की वास्तविक जन्मदिनदूसरे दिनKalashtami के रूप में जाना जाता हैयह पहले और दूसरे दिन है किश्रीकृष्ण के जन्म की जगह ले ली के बीच आधी रात को ही है.
वास्तविक उत्सव इस 48 घंटे की अवधि में आधी रात के दौरान शुरू करते हैं. उत्सव आधी रात में अपने चरम तक पहुँचभगवान कृष्ण के जन्म केसाथ भजन के बहुत सेआरती   जगह ले रही है और शंख (शंख) उड़ाने,यहोवा के पालने का घोड़ाभगवान की मूर्ति पंचामृत   (दूध का एकमिश्रण, घी, तेल, शहद और गंगाजल के साथ नहाया हैपंचामृत बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में से दूसरे को मिठाई के साथ साथवितरितहालांकि पहले दिन कुछ फास्ट और दूसरों के लिए आधी रात कोइसे तोड़ने के दोनों दिन के लिए उपवास जारी है.

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Saturday, August 20, 2011

***प्यार और दोस्ती ***

स्वार्थ अगर होता है  
तो फिर प्यार नहीं टिकता है।
सजे-धजे बाजारों में
तो प्यार नहीं बिकता है।
जिसने प्यार किया हो सच्चा,
वो ही तो इसको पहचाने,
दिल के हर कोने में वो ही,
शब्द प्यार के लिखता है।।
इस रचना को मैं अपने सबसे प्यारे दोस्त को
समर्पित कर रही हूँ!

Friday, August 19, 2011

दोस्ती क्या है


प्यार जीवन का सलोना गीत है।
ये वही है साज जिसमें प्रीत का संगीत है।
जय-पराजय की नहीं इसमें जगह,
जीत में भी हार है और हार में भी जीत है।।

दो दिलों का प्यार पाने के लिए,
दोस्ती होती निभाने के लिए।
देखकर जिसको खुशी मिलने लगे,
फूल होता है चमन में खिलखिलाने के लिए।


Thursday, August 18, 2011

तू क्यों पूरब में उगता है? तू क्यों पश्चिम में डूबता है?


तू क्यों पूरब में उगता है? 

तू क्यों पश्चिम में डूबता है? 
क्या है मजबूरी तेरी 
जो इस बंधन में रहता है? 

तू जग को जीवन देता है 
तू जग को किरणें देता है 
तू जग को आशा देता है 
तू जग को कर्म सिखलाता है 


क्या ये तेरी मजबूरी है 
जो बिना थके बिना रुके 
सदियों से चमक रहा गगन में? 
या भुगत रहा है कोई अभिशाप? 



अगर ये है तेरी सच्ची सेवा 
तो तू क्यों नहीं यह मानव को सिखलाता है? 

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