पूछता है दिल बार- बार
कैसे होता है प्यार ?
तुम मुझे प्यार की परिभाषा
बतलाते हो.
मुझे नहीं सुननी
तुम्हारी प्यार की परिभाषा
मुझे पता है
क्या होता है
तुम बतला सकों
तो सिर्फ़ इतना बता दो
की कैसे होता है प्यार ?
मैं भी प्यार करके देखना चाहती हूँ
प्यार में जीने- मरने कि क़समें
मैं भी खा के देखना चाहती हूँ
अब मुझे नहीं रहा जाता
पूछता है दिल बार-बार
कैसे होता है प्यार ?
तुम मुझे प्यार की परिभाषा
ReplyDeleteबतलाते हो.
मुझे नहीं सुननी
तुम्हारी प्यार की परिभाषा
pyaar kee paribhasha kya , pyaar to bas pyaar hai
'मेरे जैसे हो जाओगे जब इश्क तुमहें हो जाएगा'
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
pyar kaisae hota hai ye sikhaa nahi ja sakta..bus ho jata hai... pyar ek bahut khubsoorat ehsaas hai.. jeetae to sabhi hain pr zindagi jeenae layak ho jati hai jab ho jata hai pyar...
ReplyDeleteवाह ! बेहद खूबसूरती से कोमल भावनाओं को संजोया इस प्रस्तुति में आपने ...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत खूब .....
ReplyDelete...ये दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ आपने बहुत अच्छे ढंग से पिरोई हैं।
ReplyDeleteमेरी पोस्ट पर आने के लिए ढेर सारा धन्यवाद!.....आपने कमेंट वाली गलती अभी तक ठीक नहीं की...खैर आपकी मर्ज़ी।
अगर इन पंक्तियों में:- "मैं भी प्यार करके देखना चाहता हूँ" (की जगह- चाहती हूँ)... और
ReplyDelete"प्यार में जीने- मरने कि क़समें
मैं भी खा के देखना चाहता हूँ" (की जगह- चाहती हूँ) होता तो...कुछ अच्छा ही होता शायद, क्योंकि प्रस्तुतकर्ता एक स्त्री है।
वैसे मुझे माफ करिएगा मैं कुछ ज्यादा तो नहीं कह गया।
जो परिभाषा मे बंध जाये वो प्यार कहाँ …………सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteप्यार तो सिर्फ प्यार होता है....
ReplyDeleteबढ़िया कविता ... प्यार को समझने की अच्छी कोशिश...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना , खूबसूरत भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteshabdo me kaha koi pyar ko bandh paya hai....
ReplyDeletesundar rachna, badhai.
ReplyDeleteमैं भी प्यार करके देखना चाहती हूँ
ReplyDeleteप्यार में जीने- मरने कि क़समें
मैं भी खा के देखना चाहती हूँ
bahut sndar panktiyan :)
:)
ReplyDeleteतुम मुझे प्यार की परिभाषा
ReplyDeleteबतलाते हो.
मुझे नहीं सुननी
तुम्हारी प्यार की परिभाषा...दिल को छू लेने वाली खुबसूरत पंक्तियाँ
जब होना होगा अपने आप हो जायेगा .. यूँ भटकने से नहीं :):) अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteप्यार की परिभाषा को बहुत सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है! बेहद ख़ूबसूरत रचना!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
masoom rachna hai...
ReplyDeletehttp://teri-galatfahmi.blogspot.com/
dil ko choo lene wali bhawook rachna
ReplyDeletesunda
बहुत ही सुन्दर और भावभीनी कविता ..शब्द छा गए है ,..
ReplyDeleteआभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
मुझे पता है
ReplyDeleteक्या होता है
aafareen!!
खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.