Wednesday, August 3, 2011

बारिश के दिन

आज का मौसम जरा सर्द है 
दिल में उठा क्यू दर्द है |
यादे पहली बारिश की 
लेकी ये आता है 
तन मन फिर मेरे 
बड़ा अच्छा लगा जब मिट्टी की वो सौंधी खुशबू आई,
चारों तरफ के माहौल में ज़रा सी ठंडक लाई,
सड़कें धूलिं, पेड़-पत्ते धुले
सभी को छाते की ज़रुरत समझ आई…
सबके चेहरे खिल उठे, अचानक
तापमान नें भी कुछ कमी आई…
बारिश आई… देखो बारिश आई…

बारिश में मस्त 

20 comments:

  1. सावन की फुहारों की तरह मस्त मस्त भावों की रचना

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  2. सभी को छाते की ज़रुरत समझ आई…
    सबके चेहरे खिल उठे, अचानक
    तापमान नें भी कुछ कमी आई…
    बारिश आई… देखो बारिश आई…
    ..bahut badiya baarish se bheegi prastuti..

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  3. बारिश का मौसम बड़ा सुहाना होता है और आपने बड़े खूबसूरती से प्रस्तुत किया है! मनमोहक और भावपूर्ण रचना!

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  4. बहुत ही शांति और रहत देने वाली थी बारिश ......

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  5. बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ।

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  6. बहुत सुन्दर ||
    बधाई |

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  7. बहुत सुन्दर्।

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  8. बारिश की रिमझिम की तरह फुहारों का संगीत सुनाती हुई रचना बहुत अच्छी लगी!
    गीत का चयन भी बहुत बढ़िया है आपका!

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  9. aapki rachna is mausam mein thandak deti si

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  10. बहुत सुन्दर रचना ,खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  11. barish ki tarah hi mohit karti aapki kavita.

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  12. बारिश की रिमझिम की तरह बहुत खूबसूरत रचना ....

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  13. ये गीत मुझे बेहद पसंद है।

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  14. Post a Comment के नीचे लिखा हुआ वाक्य मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। इसे ठीक करें।

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  15. मेरे ब्लॉग 'आदत.. मुस्कुराने की' पर नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2011/08/blog-post.html

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  16. सववान और आपकी रचना मान को भिगो गयी....

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मैं अपने ब्लॉग पर आपका स्वागत करती हूँ! कृपया मेरी पोस्ट के बारे में अपने सुझावों से अवगत कराने की कृपा करें। आपकी आभारी रहूँगी।

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