आज का मौसम जरा सर्द है
दिल में उठा क्यू दर्द है |
यादे पहली बारिश की
लेकी ये आता है
तन मन फिर मेरे
बड़ा अच्छा लगा जब मिट्टी की वो सौंधी खुशबू आई,
चारों तरफ के माहौल में ज़रा सी ठंडक लाई,
सड़कें धूलिं, पेड़-पत्ते धुले
सभी को छाते की ज़रुरत समझ आई…
सबके चेहरे खिल उठे, अचानक
तापमान नें भी कुछ कमी आई…
बारिश आई… देखो बारिश आई…
बारिश में मस्त
बड़ा अच्छा लगा जब मिट्टी की वो सौंधी खुशबू आई,
चारों तरफ के माहौल में ज़रा सी ठंडक लाई,
सड़कें धूलिं, पेड़-पत्ते धुले
सभी को छाते की ज़रुरत समझ आई…
सबके चेहरे खिल उठे, अचानक
तापमान नें भी कुछ कमी आई…
बारिश आई… देखो बारिश आई…
बारिश में मस्त
सावन की फुहारों की तरह मस्त मस्त भावों की रचना
ReplyDeleteसभी को छाते की ज़रुरत समझ आई…
ReplyDeleteसबके चेहरे खिल उठे, अचानक
तापमान नें भी कुछ कमी आई…
बारिश आई… देखो बारिश आई…
..bahut badiya baarish se bheegi prastuti..
wah gajar ke halwe ke baat sawan ki ghata?
ReplyDeleteबारिश का मौसम बड़ा सुहाना होता है और आपने बड़े खूबसूरती से प्रस्तुत किया है! मनमोहक और भावपूर्ण रचना!
ReplyDeleteबहुत ही शांति और रहत देने वाली थी बारिश ......
ReplyDeleteachhi kavita
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी पंक्तियाँ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ||
ReplyDeleteबधाई |
बहुत सुन्दर्।
ReplyDeleteबारिश की रिमझिम की तरह फुहारों का संगीत सुनाती हुई रचना बहुत अच्छी लगी!
ReplyDeleteगीत का चयन भी बहुत बढ़िया है आपका!
aapki rachna is mausam mein thandak deti si
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ,खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeletebarish ki tarah hi mohit karti aapki kavita.
ReplyDeleteबारिश की रिमझिम की तरह बहुत खूबसूरत रचना ....
ReplyDeleteये गीत मुझे बेहद पसंद है।
ReplyDeletePost a Comment के नीचे लिखा हुआ वाक्य मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। इसे ठीक करें।
ReplyDeleteBahut badhiya..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग 'आदत.. मुस्कुराने की' पर नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeletehttp://sanjaybhaskar.blogspot.com/2011/08/blog-post.html
सववान और आपकी रचना मान को भिगो गयी....
ReplyDeleteacchi rachna....
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