Monday, August 1, 2011

कुछ पाने की आश

सब कुछ लूटकर  भी हम अपना,
कुछ पाने  की आस लगाये  बैठे है.

सीने  में सुलग  रही है अरमान कई ,
जिन्हें  अपना दोस्त बनाये  बैठे है.

जानते  है तुम साथ नही मात्र हो,

फिर भी हम तुमको अपनी धड़कन बना बैठे है 
जब से मिला है .....
दिल  की  नाज़ुक  धडकनों  को
मेरे  सनम  तुमने  धडकना  सिखा  दिया


जब  से  मिला  है  तेरा  प्यार  दिल  को
ग़म  ने  भी  मुस्कुराना  सिखा  दिया .


16 comments:

  1. sundar rachana sadhuvaad


    vidhya ji main bhi ek blog khole hun agar aap vahan aakar dekhengi to mera utsaah vardhanhoga

    www.adarsh-vyavastha-shodh.com

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  2. बहुत सुन्दर रचना लिखी आपने् तो!
    चित्र भी बहुत शानदार लगाए हैं इसके साथ!
    --
    स्नेह से बढ़ता हमेशा स्नेह है!
    प्यार का आधार केवल नेह है!!

    शुष्क दीपक स्नेह बिन जलता नही,
    स्नेह बिन पुर्जा कोई चलता नही,
    आत्मा के बिन अधूरी देह है!
    प्यार का आधार केवल नेह है!!

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  3. जानते है तुम साथ नही मात्र हो,
    फिर भी हम तुमको अपनी धड़कन बना बैठे है ... achhi abhivyakti

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  4. बहुत अच्छे से सजाया है आपने अपने भावों को।

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  5. बहुत सुन्दर भाव संयोजन्।

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  6. as per your wish i am following your blog , if you liked my blog then join hands .

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  7. वाह! बहुत सुन्दर...प्यार की ताक़त बेजोड़ होती है...प्यार कुछ भी कर सकता है

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  8. बहुत सुन्दर भाव लिए रचना |बधाई आप का अमृत कलश पर आ कर टिप्पणी करने के लिए आभार |यदि यहाँ आ कर अच्छा लगता है तो अनुसरण कर हौसला बढ़ाएँ
    आशा

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  9. कुछ पाने की आस ही हमें कभी हारने नही देती....

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||

    बधाई स्वीकार करें ||

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मैं अपने ब्लॉग पर आपका स्वागत करती हूँ! कृपया मेरी पोस्ट के बारे में अपने सुझावों से अवगत कराने की कृपा करें। आपकी आभारी रहूँगी।

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