तू क्यों पूरब में उगता है?
तू क्यों पश्चिम में डूबता है?
क्या है मजबूरी तेरी
जो इस बंधन में रहता है?
तू जग को जीवन देता है
तू जग को किरणें देता है
तू जग को आशा देता है
तू जग को कर्म सिखलाता है
क्या ये तेरी मजबूरी है
जो बिना थके बिना रुके
सदियों से चमक रहा गगन में?
या भुगत रहा है कोई अभिशाप?
अगर ये है तेरी सच्ची सेवा
तो तू क्यों नहीं यह मानव को सिखलाता है?
sundar rachna
ReplyDeleteक्या ये तेरी मजबूरी है
ReplyDeleteजो बिना थके बिना रुके
सदियों से चमक रहा गगन में?
या भुगत रहा है कोई अभिशाप?
बहुत बढ़िया ।
कविता बहुत अच्छी लगी।
चन्दा को लेकर बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दी है आपने!
ReplyDelete--
लिखती रहिए! शुभ आशीर्वाद!
hmm..valid question .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर संदेश देती सार्थक कविता।
ReplyDeleteअगर आपको जवाब मिल जाये तो जरुर बता देना हमको भी।
ReplyDeletesundar aur sacchi rachna....
ReplyDeleteसंवेदना का प्रवाह मानवता के लिए कितना विह्वल है ,इस रचना से पता चलता है ,जो एक पाक दिल का सम्मोहन बनता है , बहुत -२ आभार /
ReplyDeleteविद्या जी आपकी कविता बहुत सार्थक सन्देश और प्रश्नवाचक लिए हुए है .बहुत अच्छी लगी आपकी ब्लोगिया दस्तक .....http://veerubhai1947.blogspot.com/http://veerubhai1947.blogspot.com/
ReplyDeleteमंगलवार, १६ अगस्त २०११
पन्द्रह मिनिट कसरत करने से भी सेहत की बंद खिड़की खुल जाती है .
Thursday, August 18, 2011
Will you have a heart attack?
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
अच्छा लिखा है...पर मानव सीख ले तो संसार खत्म न हो जाए...मुश्किल इतनी ही है कि अधिकांश दुनिया सीखने को तैयार नहीं....
ReplyDeletevidya ji
ReplyDeletebahut hi sahjta ke saath aapne apni kavita dwara ek bahut hi achha sandesh diya hai.
bahut hi prabhav-purn rachna
bahut bahut badhai
poonam
sarthak prashn...!!
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक प्रश्न और तुलना की आपने /बहुत ही ज्ञानवर्धक सन्देश देती हुई बेमिसाल रचना /बधाई आपको /
ReplyDeleteplease visit my blog.
http://prernaargal.blogspot.com/thanks/
bahut hi sunder bhav.......
ReplyDelete