कच्ची दिवार हूं, ठोकर ना लगाना मुझको, अपनी नजरों में बसाकर ना गिराना मुझको, तुमको आंखों में तस्वीर की तरह रखती हूं, दिल में धकड़न की तरह तुम भी बसाना मुझको, बात करने में जो मुश्किल हो तुमको महफिल में, मैं समझ जाऊंगा नजरों से बताना मुझको, वादा उतना ही करो जितना निभा सकते हो, ख्वाब पूरा जो ना हो वो ना दिखाना मुझको, अपने रिश्ते की नजाकत का भ्रम रख लेना, मैं तो आशिक हूं दिवाना ना बनाना मुझको...। |
Tuesday, August 23, 2011
पल पल हर पल तेरी याद आती
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
विद्या जी।
ReplyDeleteआपने बहुत सरल शब्दों में गहरी बात कह दी है।
सच्चाई से रूबरू कराती हुई बहुत बढ़िया ग़ज़ल है यह तो।
सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteसरल शब्द,गजब के भाव.
आभार.
दिल को छू जाने वो भाव...
ReplyDelete------
लो जी, मैं तो डॉक्टर बन गया..
क्या साहित्यकार आउट ऑफ डेट हो गये हैं ?
मैं तो आशिक हूं दिवाना ना बनाना मुझको...
ReplyDeleteसुन्दर...बधाई
खुबसूरत पंक्तिया....
ReplyDeletereally...great words in simple lines...Vidya ji
ReplyDeletebhaut hi sundar panktiya..
ReplyDeleteवादा उतना ही करो जितना निभा सकते हो,
ReplyDeleteख्वाब पूरा जो ना हो वो ना दिखाना मुझको,
....बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
सुन्दर अभिव्यक्ति..शुभकामनाएं !
ReplyDeleteBLOG PAHELI
दिल को छूने वाली सुन्दर अभिव्यक्ति....
ReplyDeletebahut hee sundar
ReplyDeleteदिल को छूती सुन्दर रचना।
ReplyDeletebahut sunder bhav liye dil ko choo lenewaali rachanaa.sunder prastuti ke liye badhaai aapko.
ReplyDelete/मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद /मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /आभार /
please visit my blog.thanks
http://prernaargal.blogspot.com/
बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteवाह बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने!
ReplyDelete