Tuesday, August 23, 2011

पल पल हर पल तेरी याद आती


कच्ची दिवार हूं, ठोकर ना लगाना मुझको,
अपनी नजरों में बसाकर ना गिराना मुझको,


तुमको आंखों में तस्वीर की तरह रखती  हूं,
दिल में धकड़न की तरह तुम भी बसाना मुझको,


बात करने में जो मुश्किल हो तुमको महफिल में,
मैं समझ जाऊंगा नजरों से बताना मुझको,


वादा उतना ही करो जितना निभा सकते हो,
ख्वाब पूरा जो ना हो वो ना दिखाना मुझको,


अपने रिश्ते की नजाकत का भ्रम रख लेना,
मैं तो आशिक हूं दिवाना ना बनाना मुझको...

16 comments:

  1. विद्या जी।
    आपने बहुत सरल शब्दों में गहरी बात कह दी है।
    सच्चाई से रूबरू कराती हुई बहुत बढ़िया ग़ज़ल है यह तो।

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  2. सुन्दर प्रस्तुति.
    सरल शब्द,गजब के भाव.
    आभार.

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  3. मैं तो आशिक हूं दिवाना ना बनाना मुझको...

    सुन्दर...बधाई

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  4. खुबसूरत पंक्तिया....

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  5. really...great words in simple lines...Vidya ji

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  6. वादा उतना ही करो जितना निभा सकते हो,
    ख्वाब पूरा जो ना हो वो ना दिखाना मुझको,

    ....बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

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  7. सुन्दर अभिव्यक्ति..शुभकामनाएं !

    BLOG PAHELI

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  8. दिल को छूने वाली सुन्दर अभिव्यक्ति....

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  9. दिल को छूती सुन्दर रचना।

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  10. bahut sunder bhav liye dil ko choo lenewaali rachanaa.sunder prastuti ke liye badhaai aapko.
    /मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद /मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /आभार /

    please visit my blog.thanks
    http://prernaargal.blogspot.com/

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  11. बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति ...

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  12. बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने!

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