Monday, August 22, 2011

चन्दा मामा

कलम और कॉपी लेकर ।
बैठे जब हम टेबल पर ॥
आसमान की ओर निहारा ।
चंदा मामा कितना प्यारा ||



तुझमें देखा अपना प्यार।
तारों में था नव श्रृंगार॥
चन्दा मामा घूम रहे थे ।
हमें प्यार से चूम रहे थे॥


चल रहे थे अपने पथ में ।
बैठे आसमान के रथ में ॥







1 comment:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    हमारा उपनाम भी मयंक है जी,
    अर्थात चन्दा मामा।
    मगर हम आपके मामा तो नहीं,मगर मित्र अवश्य हैं।
    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

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