Friday, August 5, 2011

यह दिल कहता है | कि ........

जब बारिश होती है |
मेरे मन में  आवाज 
यह विचार आता है कि.....
यह छन छन करती 
बारिश  कि आवाज
     इतनी मधुर क्यों है......

विचार आता है
कि इसी में डूब जाऊ
मन करता है मै
उछालू कुदूँ और नाँचू-गाऊँ.........

मेरा दिल कहती है कि ....इसमे अपने को इतना
भीगूँ और भिगाँऊ ..... स्वर्ग का आनन्द मनाऊँ..
...ताकि जीन में, खुशियों की कमी  रह न जाये 

इसकी  छम छम करती  यह स्वर ....
कितना अनुपम और मधुर है..
यह बारिश .........



..

15 comments:

  1. अच्छी कविता, सुन्दर प्रस्तुति।

    लेकिन मैं अपनी आदत के मुताबिक यह कहना चाहता हूँ कि कविता की 10वीं और 13वीं लाइन को एक बार फिर से ध्यान दें।

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  2. वाह विद्या जी!
    आपले तो इस रचना में बरसात का आनन्द ही जमा दिया!
    --
    टिप्पणी में इतना ही कहूँ कि-

    गन्दुमी सी पर्त ने ढक ही दिया आकाश नीला
    देखकर घनश्याम को होने लगा आकाश पीला

    छिप गया चन्दा गगन में, हो गया मज़बूर सूरज
    पर्वतों की गोद में से बह गया कमजोर टीला

    बाँटती सुख सभी को बरसात की भीनी फुहारें
    बरसता सावन सुहाना हो गया चौमास गीला

    पड़ गये झूले पुराने नीम के उस पेड़ पर
    पास के तालाब से मेढक सुनाते सुर-सुरीला

    इन्द्र ने अपने धनुष का “रूप” सुन्दर सा दिखाया
    सात रंगों से सजा है गगन में कितना सजीला

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  3. बरसात के मौसम को आपने ख़ूबसूरत तस्वीरों के साथ बड़े ही लाजवाब रूप में प्रस्तुत किया है! दिल ख़ुशी से झूम उठा! उम्दा रचना!
    You are welcome at my new posts-
    http://amazing-shot.blogspot.com/
    http://urmi-z-unique.blogspot.com/

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  4. बारिश और आपकी रचना दोनों ही मन को भिगो गयी .....

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  5. दिलकश चित्र ,

    रचना विचित्र |

    बादल सा

    छ गए मित्र ||

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  6. सुन्दर रचना।

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  7. बारिश के मौसम में अच्छी रचना लिख डाली है .....आभार

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर अभिव्यक्ति , आभार

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  9. sawan की chhataa niraalii होती है

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  10. सुन्दर प्रस्तुति

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  11. अच्छी रचना और शब्द चयन |बधाई
    आशा

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  12. A very good creation with congruence of nature ,
    heart touching .... thanks ji

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  13. बहुत सुन्दर रचना ! हार्दिक शुभकामनायें !

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