Wednesday, August 24, 2011

प्यार में क्या क्या होता है

चल पड़ा जब से मिलन का ये सिला,
अब तो कोई भी शिकायत न गिला।
वो तो उल्फत में बेवफा निकले,
प्यार में दर्द मिला, कुछ न मिला।।

उठते ज़ज्बात में सच्चाई बहुत कम होती,
बहते दरिया में तो गहराई बहुत कम होती।

बेवफा लहरें हमेशा ही किनारों से दूर जाती हैं,
जिन्दगी यूँ ही सिसकती है, उम्र भर रोती।।

याद उनकी न हमारे जिगर से जाती है,
किन्तु उनको तो मेरी याद नहीं आती है।
जिनका दिल था कभी नाजुक फूलों जैसा,
चोट पहुँचा रहा पत्थर की तरह साथी है।। 

15 comments:

  1. उठते ज़ज्बात में सच्चाई बहुत कम होती,
    बहते दरिया में तो गहराई बहुत कम होती।सच कहा आपने -"स्टिल वाटर रन्स डीप"...... ,इस दौर में आपका संग साथ ही अन्ना जी की ताकत है .ऊर्जा और आंच दीजिए इस मूक क्रान्ति को .बेहतरीन जानकारी दी है आपने बहुत अच्छी पोस्ट . जय ,जय अन्ना जी ,जय भारत .
    सद-उद्देश्यों के लिए, लड़ा रहे वे जान |
    कद - काठी से शास्त्री, धोती - कुरता श्वेत |
    बापू जैसी सादगी, दृढ़ता सत्य समेत ||

    ram ram bhai

    सोमवार, २२ अगस्त २०११
    अन्ना जी की सेहत खतरनाक रुख ले रही है . /
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    .
    .आभार .....इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार ./ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com

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  2. बेहतरीन
    "चल पड़ा जब से मिलन का ये सिला,
    अब तो कोई भी शिकायत न गिला।"मतला है.और तमाम अशआर भी : उठते ज़ज्बात में सच्चाई बहुत कम होती,
    बहते दरिया में तो गहराई बहुत कम होती।सच कहा आपने -"स्टिल वाटर रन्स डीप"...... ,इस दौर में आपका संग साथ ही अन्ना जी की ताकत है .ऊर्जा और आंच दीजिए इस मूक क्रान्ति को .बेहतरीन जानकारी दी है आपने बहुत अच्छी पोस्ट . जय ,जय अन्ना जी ,जय भारत .
    सद-उद्देश्यों के लिए, लड़ा रहे वे जान |
    कद - काठी से शास्त्री, धोती - कुरता श्वेत |
    बापू जैसी सादगी, दृढ़ता सत्य समेत ||

    ram ram bhai

    सोमवार, २२ अगस्त २०११
    अन्ना जी की सेहत खतरनाक रुख ले रही है . /
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    .
    .आभार .....इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार ./ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com
    Tuesday, August 23, 2011
    इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार .
    जिस व्यक्ति ने आजीवन उतना ही अन्न -वस्त्र ग्रहण किया है जितना की शरीर को चलाये रखने के लिए ज़रूरी है उसकी चर्बी पिघलाने के हालात पैदा कर दिए हैं इस "कथित नरेगा चलाने वाली खून चुस्सू सरकार" ने जो गरीब किसानों की उपजाऊ ज़मीन छीनकर "सेज "बिछ्वाती है अमीरों की ,और ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था जिसने खड़ी कर ली है जो गरीबों का शोषण करके चर्बी चढ़ाए हुए है .वही चर्बी -नुमा सरकार अब हमारे ही मुसलमान भाइयों को इफ्तियार पार्टी देकर ,इफ्तियार का पुण्य भी लूटना चाहती है ।
    अब यह सोचना हमारे मुस्लिम भाइयों को है वह इस पार्टी को क़ुबूल करें या रद्द करें .उन्हें इस विषय पर विचार ज़रूर करना चाहिए .भारत देश का वह एक महत्वपूर्ण अंग हैं ,वाइटल ओर्गेंन हैं .

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com//......
    गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
    Posted by veerubhai on Sunday, August 21
    २३ अगस्त २०११ १:३६ अपराह्न

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  3. बहुत ही खुबसूरत रचना ....

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  4. याद उनकी न हमारे जिगर से जाती है,
    किन्तु उनको तो मेरी याद नहीं आती है।
    जिनका दिल था कभी नाजुक फूलों जैसा,
    चोट पहुँचा रहा पत्थर की तरह साथी है।
    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति बधाई

    ReplyDelete
  5. विद्या जी आपने तीनों मुक्तक बहुत बढ़िया लिखे हैं।
    बहुत गहराई और शिक्षा छिपी है इनमें!

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  6. बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! बधाई!

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  7. बहुत ही गहरे जज़्बात संजोये हैं।

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  8. वो तो उल्फत में बेवफा निकले,
    प्यार में दर्द मिला, कुछ न मिला।।
    what can we do, between two
    its a matter of love ,
    how do you do .
    excuse me ......../
    its a better one theme .... / thanks ji

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  9. देश के कार्य में अति व्यस्त होने के कारण एक लम्बे अंतराल के बाद आप के ब्लाग पे आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ

    बहुत सुन्दर और सार्थक रचना!

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  10. जिनका दिल था कभी नाजुक फूलों जैसा,
    चोट पहुँचा रहा पत्थर की तरह साथी है।

    उफ़, ऐसा साथी.

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  11. ख़ूबसूरत रचना | बहत बढ़िया विद्या जी | आभार |

    कृपया मेरी रचना देखें |
    सुनो ऐ सरकार !!
    और इस नए ब्लॉग पे भी आयें और फोलो करें |
    काव्य का संसार

    ReplyDelete
  12. बेहतरीन मुक्तक...
    सादर बधाई...

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मैं अपने ब्लॉग पर आपका स्वागत करती हूँ! कृपया मेरी पोस्ट के बारे में अपने सुझावों से अवगत कराने की कृपा करें। आपकी आभारी रहूँगी।

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