मनुष्य नवजात शिशु तुल्य है |
विकास हि उसका बल है |
चिंता से रूप ,बल और ज्ञान
का नाश हो जाता है|
कर्तब्य ही एसा आदर्श है ,
जो कभी धोका नही दे सकता |
कर्म किये जा ,
फल की चिंता मत कर
ए इंसान ,
महाभारत में ललिखा है |
मनुष्य नवजात शिशु तुल्य है |
विकास हि उसका बल है |
"You've got to be success minded.
You've got to feel that things are coming
your way when you're out selling; otherwise,
you won't be able to sell anything."
bahut sundar v sateek likhti hain aap.
ReplyDeleteसुन्दर लेखन्।
ReplyDeleteबहुत खूब...बधाई ||
ReplyDeletegreat expression .thanks
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