Wednesday, July 20, 2011

**सप्ताह का विचार**

1.फल के आने से वृक्ष झुक जाते हैं, वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, 
 संपत्ति के समय सज्जन भी नम्र होते हैं। परोपकारियों का स्वभाव ही ऐसा है। 
 - तुलसीदास

2.चाहे गुरु पर हो या ईश्वर पर, श्रद्धा अवश्य रखनी चाहिए। 
  क्यों कि बिना श्रद्धा के सब बातें व्यर्थ होती हैं।
  - समर्थ रामदास

3.जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, 
  उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है।
  - नारदभक्ति

4.जय उसी की होती है जो अपने को संकट में डालकर कार्य संपन्न करते हैं।
  जय कायरों की कभी नहीं होती।
  - जवाहरलाल नेहरू

5.मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से 
  और झूठ को सत्य से जीत सकता है।
  - गौतम बुद्ध

6.लोहा गरम भले ही हो जाए पर हथौड़ा तो ठंडा रह कर ही काम कर सकता है।
 - सरदार पटेल

7.जिस मनुष्य में आत्मविश्वास नहीं है वह शक्तिमान हो कर भी कायर है
  और पंडित होकर भी मूर्ख है।
- राम प्रताप त्रिपाठी

8.समय परिवर्तन का धन है। परंतु घड़ी उसे केवल परिवर्तन के 
  रूप में दिखाती है, धन के रूप में नहीं।
 - रवींद्रनाथ ठाकुर

9.मुस्कान थके हुए के लिए विश्राम है, उदास के लिए दिन का प्रकाश है
  तथा कष्ट के लिए प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है।
  - अज्ञात

10.जिस काम की तुम कल्पना करते हो उसमें जुट जाओ। साहस में प्रतिभा, 
   शक्ति और जादू है। साहस से काम शुरु करो पूरा अवश्य होगा। 
  - अज्ञात

1 comment:

मैं अपने ब्लॉग पर आपका स्वागत करती हूँ! कृपया मेरी पोस्ट के बारे में अपने सुझावों से अवगत कराने की कृपा करें। आपकी आभारी रहूँगी।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

लिखिए अपनी भाषा में