लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है ।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है ।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है ।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में ।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो ।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम ।
हर शब्द बोलता हुआ....मन को छूते भाव....बहुत खूब |
ReplyDeleteएक बेमिसाल रचना
ReplyDeleteमुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
ReplyDeleteकोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
kya baat hai ,
dil ki baat juban pe aayi to aur hi sunder ho gyi.......
utkrist rachna ke liye badhai
बहुत सुन्दर रचना .ये तो हमने पहले भी सुना है की कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती पर विद्या जी हर बार ये बात स्वीकार नहीं होती..
ReplyDeleteहाँ जी बिलकुल सही कहा आपने.... बस हर बार hame ये मान कर hi हर सफ़र पर चल देना चहिये....
ReplyDeletefantastic rachna hai harivansh ji ki..:)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्दचित्र उकेरा है..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
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