Saturday, July 23, 2011

विद्या की कविता

मेरी अम्मा एक पिटारी यादों की
मीठी लोरी लाड-प्यार की बातों की।

मैं सूरज हूं उसका, चांद-सितारा हूं
झड़ी लगाती हर दम आशीर्वादों की।

वक्त झुका है हर दम जिसके कदमों में
मां फौलादी  ”औ” मजबूत इरादों की

किसने देखा है ईश्वर मां से बढ़कर
अर्ज करें हम जिससे निज फरियादों की।

ममता, करूणा और दया की मूरत मां
द्रवित होती दुनियां देख अनाथों की

सबको भोजन चिड़ियों को चुग्गा-पानी
देती हर दम मां गठरी सौगातों की

पोते संग हंसते देका तो समझा हूं
क्या होती है खुशी  ”हर्ष” औलादों की।

17 comments:

  1. वक्त झुका है हर दम जिसके क़दमों में
    माँ फौलादी औ मज़बूत इरादों की '
    ..................हृदयस्पर्शी रचना
    ................माँ से बढ़कर कौन ? कोई नहीं

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  2. अच्छी भावाभिव्यक्ति ||

    बधाई ||

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  3. माँ तो सिर्फ माँ होती है

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  4. maa se badkar kya h
    kuch bhi to nhi

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  5. किसने देखा है ईश्वर मां से बढ़कर
    अर्ज करें हम जिससे निज फरियादों की।
    मां को समर्पित यह कविता भावनाओं से परिपूर्ण है।
    बहुत अच्छी रचना।

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  6. मेरी अम्मा एक पिटारी यादों की
    मीठी लोरी लाड-प्यार की बातों की।

    कविता अच्छी लगी, शुभकामनायें!

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  7. कविता अच्छी लगी
    अच्छी भावाभिव्यक्ति
    बधाई ||

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  8. बहुत प्यारी ग़ज़लिका लिखी है आपने तो!

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  9. पोते संग हंसते देका तो समझा हूं
    क्या होती है खुशी ”हर्ष” औलादों की।
    bahut sunder abhibyakti.maa to sirf maa hi hoti hai.mere blog main aane ke liye thanks.itani sunder rachanaa ke liye badhaai.

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  10. किसने देखा है ईश्वर मां से बढ़कर
    अर्ज करें हम जिससे निज फरियादों की।...kisi ne nahi

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  11. सबको भोजन चिड़ियों को चुग्गा-पानी
    देती हर दम मां गठरी सौगातों की

    ....बहुत सच कहा है, माँ सच में स्वयं में सब से बडी सौगात है..बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना

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  12. ममता करूणा और दया की मूरत मां
    द्रवित होती दुनियां देख अनाथों की

    मां को समर्पित एक श्रेष्ठ रचना।

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  13. मां को समर्पित बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति| आभार|

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  14. kuchh nahi hogaa to aanchal me chhupaa legi maa

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  15. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग इस ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो हमारा भी प्रयास सफल होगा!

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  16. बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !

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  17. अरे इतनी अच्छी कविता लिखी है।

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मैं अपने ब्लॉग पर आपका स्वागत करती हूँ! कृपया मेरी पोस्ट के बारे में अपने सुझावों से अवगत कराने की कृपा करें। आपकी आभारी रहूँगी।

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