मां सरस्वती को वसंत पंचमी पर भोग में चावल क्यों?
जो छात्र मेहनत के साथ माता सरस्वती की आराधना करते है। उन्हें ज्ञान के साथ साथ सम्मान की प्राप्ति भी होती है। वसंत पंचमी के दिन सबसे पहले श्री गणेश का पूजन किया जाता है। श्री गणेश के बाद मां सरस्वती का पूजन किया जाता है। शिक्षा, चतुरता के ऊपर विवेक का अंकुश लगाती है।वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के भोग में विशेष रूप से चावल का भोग लगाया जाता है।
इसका कारण यह है कि मां सरस्वती को श्वेत रंग बहुत प्रिय है साथ ही चावल को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि चावल का भोग लगाने से घर के सभी सदस्यों को मां सरस्वती के आर्शीवाद के साथ सकारात्मक बुद्धि की भी प्राप्ति होती है।
इसका कारण यह है कि मां सरस्वती को श्वेत रंग बहुत प्रिय है साथ ही चावल को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि चावल का भोग लगाने से घर के सभी सदस्यों को मां सरस्वती के आर्शीवाद के साथ सकारात्मक बुद्धि की भी प्राप्ति होती है।
सुन्दर प्रस्तुति,
ReplyDeleteहार्दिक बधाई ||
very nice...more followers..more improvement..super..keep it up...
ReplyDeletenice writing :)
ReplyDeleteअच्छा लेख ,बधाई
ReplyDeleteआपने बहुत ही अच्छा लिखा है शब्दों का संयोजन भी उत्तम है. उत्तम जानकारी दी है ......आभार...
ReplyDeleteये तो नई जानकारी थी मेरे लिए।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी दी है आपने.
ReplyDeleteबस लिखते रहिये. मैं ये कहूँगा की लिखते हुए फोंट को ज्यादा कलरफुल मत करिए, ब्लैक फोंट , नोर्मल साइज़ पे लिखने पे ब्लॉग देखने में अच्छा लगता है.
आप भी दुसरे को फौलो करिए और दूसरो के ब्लॉग पे कमेन्ट कीजिये, बदले में भले लोगो आपको फौलो करेंगे और कमेन्ट भी देंगे. येही ब्लॉग का तकाजा है.
मेरी शुभ कामनाएं !
__________
वन्स मोर !
उत्तम जानकारी दी है !आपने बहुत ही अच्छा लिखा है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति|आभार|
ReplyDeleteसहज, सरल शब्दों के प्रयोग से सुंदर भावाभिव्यक्ति। और उत्तम जानकारी दी है और बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी देता लेख ... आभार
ReplyDeleteजय माँ शारदा की.
ReplyDeleteसुन्दर आलेख के लिए धन्यवाद
वाह,नई जानकारी मिली.धन्यवाद.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.....
ReplyDeleteमहोदय/ महोदया जी,
ReplyDeleteअब आपके लिये एक मोका है आप भेजिए अपनी कोई भी रचना जो जन्मदिन या दोस्ती पर लिखी गई हो! रचना आपकी स्वरचित होना अनिवार्य है! आपकी रचना मुझे 20 जुलाई तक मिल जानी चाहिए! इसके बाद आयी हुई रचना स्वीकार नहीं की जायेगी! आप अपनी रचना हमें "यूनिकोड" फांट में ही भेंजें! आप एक से अधिक रचना भी भेजें सकते हो! रचना के साथ आप चाहें तो अपनी फोटो, वेब लिंक(ब्लॉग लिंक), ई-मेल व नाम भी अपनी पोस्ट में लिख सकते है! प्रथम स्थान पर आने वाले रचनाकर को एक प्रमाण पत्र दिया जायेगा! रचना का चयन "स्मस हिन्दी ब्लॉग" द्वारा किया जायेगा! जो सभी को मान्य होगा! मेरे इस पते पर अपनी रचना भेजें sonuagra0009@gmail.com या आप मेरे ब्लॉग “स्मस हिन्दी” मे टिप्पणि के रूप में भी अपनी रचना भेज सकते हो.
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http://smshindi-smshindi.blogspot.com/2011/07/12.html
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
badhiya aalekh , nayi jankari ke liye hardik dhanyvaad.
ReplyDeleteखूबसूरत जानकारी के लिए शुक्रिया दोस्त |
ReplyDeleteविद्या जी बहुत अच्छा लिखा है आपने | लेकिन एक बात याद रखिये हमें विद्या आती है खुद हमारी मेहनत और लगन से ना की व्यर्थ के पूजा या उपवास से ! सरस्वती तो प्रतिक है विद्या का | सरस्वती कोई व्यक्ति विशेष नहीं की उसकी आप पूजा करें | आप नयी जमाने की नारी हैं पुरानी रूढीयों को तोड़ते हुवे कुछ तो सत्य ज्ञान का उजाला फैलाइये ! हमें आप जैसे लिखिकाओं से बहुत कुछ आशाएं हैं |
ReplyDeleteहमें दिए गए विषयों को मन लगाकर अध्ययन करना ही सच्ची सरस्वती पूजा है नाकि उनकी मूर्ति के आगे फूल माला या चावल चढ़ाव चढ़ाना !
ReplyDeleteआपको मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं !
लिखा सही है आपने पर जैसा कि मैंने मेरे लेख में लिखा है कि पूजा करने से लकी नहीं होते बल्कि मेहनत करने से लकी होते हैं
ReplyDeleteएक तथ्य और कोयल स्वभाव से शाकाहारी है .लेकिन मादा कोयल कौवे के घोंसले में अंडा जनने के बाद अपना अंडा वहां छोड़ देती है और एक अंडा कौवी का लेके उड़ जाती है .यही इसका उत्तर प्रसव पहला आहार होता है .पक्षी विज्ञानियों ने इनका पीछा करके यह तथ्य उद्घाटित किया है .बच्चा भी कोयल परिवार (कक्कू )का बड़ा फितरती होता है .एक एक करे कक्कू वंश के बच्चों को घोंसले से गिराता रहता है .अच्छी पोस्ट के लिए आपको बधाई .
ReplyDeleteबोल्ड होना सिर्फ जंग के मैदान में ठीक है सामाजिक सेट -अप ,उठ बैठ में नहीं .बोल्ड होने का मतलब राखी सावंत ,रेखा सहरावत ,मुन्नी और शीला और न जाने कौन कौन नित समझा रहीं हैं .बोल्ड होने को आजकल आइटम नंबर कहा जाता है .इस सिले और होड़ का अंत नहीं यहाँ भी बोल्ड होने वाला पिछड़ जाएगा .
ReplyDeleteविद्या जी ज्ञान की देवी की पसंदगी आपने बतलाई .चावल में सकारात्मक ऊर्जा की बात की .स्वेत पैर -हन/परिधान और लिबास का अपना सत्व गुण हैं जो तमस और रजस में सामंजस्य के बाद ही मिलता है .विद्या चतुर सुजान को विवेक -वान भी बनाती है .वागीश भी .वाह खूब कहा है .अच्छी प्रेरक जानकारी ,अभिव्यक्ति .सलामत रहो .
ReplyDeleteaapke blog pe pahli baar aana hua hai...
ReplyDeletejaan ke acha laga ki bahut kam samay me aapne bahut jyada naam kamaa lia hai...
isi tarah likhte rahiye...
shubhkaamnaayen
aur haan "hindi blogging guide" ka hissa bane...
http://www.facebook.com/pages/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%89%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%A1-Hindi-Blogging-Guide/136515886428505
जय हो मातेश्वरी की!! ज्ञान मिल ही गया
ReplyDeleteOm Shri Saraswatay namah
ReplyDeleteshubhkamanaye ......
ReplyDeleteमाँ वाणी की जय हो .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
अभिनव जानकारी देती हुई सुन्दर पोस्ट!
ReplyDeleteमाँ सरस्वती को शत्-शत् नमन!