Friday, July 8, 2011

मां सरस्वती

मां सरस्वती को वसंत पंचमी पर भोग में चावल क्यों?



वसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। साथ-साथ इस दिन को अबूझ मुहूर्त के नाम से भी जाना जाता है।बसंत पंचमी के दिन कोई भी नया काम प्रारम्भ करना शुभ माना जाता है। इसी कारण ऋषियों ने वसन्त पंचमी के दिन सरस्वती पूजा की प्रथा चली आ रही है। किसी भी कला और संगीत कि शिक्षा प्रारम्भ करने से पूर्व माता सरस्वती का पूजन करना शुभ होता है।
जो छात्र मेहनत के साथ माता सरस्वती की आराधना करते है। उन्हें ज्ञान के साथ साथ सम्मान की प्राप्ति भी होती है। वसंत पंचमी के दिन सबसे पहले श्री गणेश का पूजन किया जाता है। श्री गणेश के बाद मां सरस्वती का पूजन किया जाता है। शिक्षा, चतुरता के ऊपर विवेक का अंकुश लगाती है।वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के भोग में विशेष रूप से चावल का भोग लगाया जाता है।
इसका कारण यह है कि मां सरस्वती को श्वेत रंग बहुत प्रिय है साथ ही चावल को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि चावल का भोग लगाने से घर के सभी सदस्यों को मां सरस्वती के आर्शीवाद के साथ सकारात्मक बुद्धि की भी प्राप्ति होती है।

 

29 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति,
    हार्दिक बधाई ||

    ReplyDelete
  2. very nice...more followers..more improvement..super..keep it up...

    ReplyDelete
  3. nice writing :)

    ReplyDelete
  4. आपने बहुत ही अच्छा लिखा है शब्दों का संयोजन भी उत्तम है. उत्तम जानकारी दी है ......आभार...

    ReplyDelete
  5. ये तो नई जानकारी थी मेरे लिए।

    ReplyDelete
  6. अच्छी जानकारी दी है आपने.
    बस लिखते रहिये. मैं ये कहूँगा की लिखते हुए फोंट को ज्यादा कलरफुल मत करिए, ब्लैक फोंट , नोर्मल साइज़ पे लिखने पे ब्लॉग देखने में अच्छा लगता है.
    आप भी दुसरे को फौलो करिए और दूसरो के ब्लॉग पे कमेन्ट कीजिये, बदले में भले लोगो आपको फौलो करेंगे और कमेन्ट भी देंगे. येही ब्लॉग का तकाजा है.
    मेरी शुभ कामनाएं !
    __________
    वन्स मोर !

    ReplyDelete
  7. उत्तम जानकारी दी है !आपने बहुत ही अच्छा लिखा है

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति|आभार|

    ReplyDelete
  9. सहज, सरल शब्दों के प्रयोग से सुंदर भावाभिव्यक्ति। और उत्तम जानकारी दी है और बहुत अच्छी प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  10. अच्छी जानकारी देता लेख ... आभार

    ReplyDelete
  11. जय माँ शारदा की.
    सुन्दर आलेख के लिए धन्यवाद

    ReplyDelete
  12. वाह,नई जानकारी मिली.धन्यवाद.

    ReplyDelete
  13. सुन्दर प्रस्तुति.....

    ReplyDelete
  14. महोदय/ महोदया जी,
    अब आपके लिये एक मोका है आप भेजिए अपनी कोई भी रचना जो जन्मदिन या दोस्ती पर लिखी गई हो! रचना आपकी स्वरचित होना अनिवार्य है! आपकी रचना मुझे 20 जुलाई तक मिल जानी चाहिए! इसके बाद आयी हुई रचना स्वीकार नहीं की जायेगी! आप अपनी रचना हमें "यूनिकोड" फांट में ही भेंजें! आप एक से अधिक रचना भी भेजें सकते हो! रचना के साथ आप चाहें तो अपनी फोटो, वेब लिंक(ब्लॉग लिंक), ई-मेल व नाम भी अपनी पोस्ट में लिख सकते है! प्रथम स्थान पर आने वाले रचनाकर को एक प्रमाण पत्र दिया जायेगा! रचना का चयन "स्मस हिन्दी ब्लॉग" द्वारा किया जायेगा! जो सभी को मान्य होगा! मेरे इस पते पर अपनी रचना भेजें sonuagra0009@gmail.com या आप मेरे ब्लॉग “स्मस हिन्दी” मे टिप्पणि के रूप में भी अपनी रचना भेज सकते हो.
    हमारी यह पेशकश आपको पसंद आई?
    नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
    http://smshindi-smshindi.blogspot.com/2011/07/12.html
    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !

    ReplyDelete
  15. badhiya aalekh , nayi jankari ke liye hardik dhanyvaad.

    ReplyDelete
  16. खूबसूरत जानकारी के लिए शुक्रिया दोस्त |

    ReplyDelete
  17. विद्या जी बहुत अच्छा लिखा है आपने | लेकिन एक बात याद रखिये हमें विद्या आती है खुद हमारी मेहनत और लगन से ना की व्यर्थ के पूजा या उपवास से ! सरस्वती तो प्रतिक है विद्या का | सरस्वती कोई व्यक्ति विशेष नहीं की उसकी आप पूजा करें | आप नयी जमाने की नारी हैं पुरानी रूढीयों को तोड़ते हुवे कुछ तो सत्य ज्ञान का उजाला फैलाइये ! हमें आप जैसे लिखिकाओं से बहुत कुछ आशाएं हैं |

    ReplyDelete
  18. हमें दिए गए विषयों को मन लगाकर अध्ययन करना ही सच्ची सरस्वती पूजा है नाकि उनकी मूर्ति के आगे फूल माला या चावल चढ़ाव चढ़ाना !
    आपको मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं !

    ReplyDelete
  19. लिखा सही है आपने पर जैसा कि मैंने मेरे लेख में लिखा है कि पूजा करने से लकी नहीं होते बल्कि मेहनत करने से लकी होते हैं

    ReplyDelete
  20. एक तथ्य और कोयल स्वभाव से शाकाहारी है .लेकिन मादा कोयल कौवे के घोंसले में अंडा जनने के बाद अपना अंडा वहां छोड़ देती है और एक अंडा कौवी का लेके उड़ जाती है .यही इसका उत्तर प्रसव पहला आहार होता है .पक्षी विज्ञानियों ने इनका पीछा करके यह तथ्य उद्घाटित किया है .बच्चा भी कोयल परिवार (कक्कू )का बड़ा फितरती होता है .एक एक करे कक्कू वंश के बच्चों को घोंसले से गिराता रहता है .अच्छी पोस्ट के लिए आपको बधाई .

    ReplyDelete
  21. बोल्ड होना सिर्फ जंग के मैदान में ठीक है सामाजिक सेट -अप ,उठ बैठ में नहीं .बोल्ड होने का मतलब राखी सावंत ,रेखा सहरावत ,मुन्नी और शीला और न जाने कौन कौन नित समझा रहीं हैं .बोल्ड होने को आजकल आइटम नंबर कहा जाता है .इस सिले और होड़ का अंत नहीं यहाँ भी बोल्ड होने वाला पिछड़ जाएगा .

    ReplyDelete
  22. विद्या जी ज्ञान की देवी की पसंदगी आपने बतलाई .चावल में सकारात्मक ऊर्जा की बात की .स्वेत पैर -हन/परिधान और लिबास का अपना सत्व गुण हैं जो तमस और रजस में सामंजस्य के बाद ही मिलता है .विद्या चतुर सुजान को विवेक -वान भी बनाती है .वागीश भी .वाह खूब कहा है .अच्छी प्रेरक जानकारी ,अभिव्यक्ति .सलामत रहो .

    ReplyDelete
  23. aapke blog pe pahli baar aana hua hai...
    jaan ke acha laga ki bahut kam samay me aapne bahut jyada naam kamaa lia hai...
    isi tarah likhte rahiye...
    shubhkaamnaayen

    aur haan "hindi blogging guide" ka hissa bane...

    http://www.facebook.com/pages/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%89%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%A1-Hindi-Blogging-Guide/136515886428505

    ReplyDelete
  24. जय हो मातेश्वरी की!! ज्ञान मिल ही गया

    ReplyDelete
  25. माँ वाणी की जय हो .....
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  26. अभिनव जानकारी देती हुई सुन्दर पोस्ट!
    माँ सरस्वती को शत्-शत् नमन!

    ReplyDelete

मैं अपने ब्लॉग पर आपका स्वागत करती हूँ! कृपया मेरी पोस्ट के बारे में अपने सुझावों से अवगत कराने की कृपा करें। आपकी आभारी रहूँगी।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

लिखिए अपनी भाषा में