बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई !
जिंदगी को चाँद और और चाँद को जिंदगी ||कीचड़ यानी परेशानी --कैसे सोचते हैं इतनी बारीक़ बातें |बधाई ||बम-विस्फोट रेल की टक्कर बाढ़ की विभीषिका सब कुछ चाँद से --
जीवन की गूढ बातों को आपने बहुत गहराई से समझा है।------जीवन का सूत्र...लोग चमत्कारों पर विश्वास क्यों करते हैं ?
bahut vishleshak post aabhar.
वाह शब्दों का चयन सुंदर हैं । शुभकामनाएं , लिकह्ती रहिए , और हां हम भी अब अनुसरक हैं इस ब्लॉग के
बहुत अच्छी रचना
उफ़ ………।गज़ब का लिखा है।
outstanding! very nice. laxmikant.
bhut khubsurat..
babaa ye kya likh dalaa... uff.. bahut khoob..
लाजवाब रचना
चांद पर एक बेहतरीन कविता. आपके ब्लॉग पर पहली बार आया, आपका लेखन अच्छा लगा. थोड़ा आप proof reading अवश्य कीजिये. बस!शेष फिर. अनेकानेक शुभकामनायें.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।
nicely woven thoughts .......
सुंदर अभिव्यक्ति विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
गहरे अर्थ और बिम्बों वाली कविता
अभिव्यक्ति की सांद्रता रचना और ग़ज़ल में एक रिदम बनाए चलती है .कोई दूरी नहीं दोनों में -चाँद पे बस्ती बन गई तो बच्चा कैसे कहेगा -मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लूंगा ..शुक्रिया विद्या जी आप ब्लॉग पर आई .
मैं अपने ब्लॉग पर आपका स्वागत करती हूँ! कृपया मेरी पोस्ट के बारे में अपने सुझावों से अवगत कराने की कृपा करें। आपकी आभारी रहूँगी।
बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई !
ReplyDeleteजिंदगी को चाँद और
ReplyDeleteऔर चाँद को जिंदगी ||
कीचड़ यानी परेशानी --
कैसे सोचते हैं इतनी बारीक़ बातें |
बधाई ||
बम-विस्फोट
रेल की टक्कर
बाढ़ की विभीषिका
सब कुछ
चाँद से --
जीवन की गूढ बातों को आपने बहुत गहराई से समझा है।
ReplyDelete------
जीवन का सूत्र...
लोग चमत्कारों पर विश्वास क्यों करते हैं ?
bahut vishleshak post aabhar.
ReplyDeleteवाह शब्दों का चयन सुंदर हैं । शुभकामनाएं , लिकह्ती रहिए , और हां हम भी अब अनुसरक हैं इस ब्लॉग के
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteउफ़ ………।गज़ब का लिखा है।
ReplyDeleteoutstanding! very nice. laxmikant.
ReplyDeletebhut khubsurat..
ReplyDeletebabaa ye kya likh dalaa... uff.. bahut khoob..
ReplyDeleteलाजवाब रचना
ReplyDeleteचांद पर एक बेहतरीन कविता. आपके ब्लॉग पर पहली बार आया, आपका लेखन अच्छा लगा. थोड़ा आप proof reading अवश्य कीजिये. बस!
ReplyDeleteशेष फिर. अनेकानेक शुभकामनायें.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeletenicely woven thoughts .......
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
गहरे अर्थ और बिम्बों वाली कविता
ReplyDeleteअभिव्यक्ति की सांद्रता रचना और ग़ज़ल में एक रिदम बनाए चलती है .कोई दूरी नहीं दोनों में -चाँद पे बस्ती बन गई तो बच्चा कैसे कहेगा -मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लूंगा ..शुक्रिया विद्या जी आप ब्लॉग पर आई .
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