bilkul sahi kahawat kahi hai|
सिर्फ़ काशी देखा है।
sahi kaha
bilkul sahi kahawat....
बहुत ही सुन्दर |बधाई ||
Stills are superb...
कहावतें तो बहुत अच्छी हैं, लेकिन सुधार कर लें तो और अच्छी लगेंगी।काशी जैसी भोर नहीं,बंबई जैसी शाम नहीं,कोलकाता जैसी रात नहीं।
नीलेशजी से सहमत...लिखने से पहले अगर वर्तनी शुद्धि कर ली जाए तो सोने पे सुहागा हो जाए...
It's true ! Nothing could be more beautiful than the mornings of Holy city Varanasi .
bahut hi sundar varnan. Itni sundar ki galtiyaan nazr hi nahi aa rahi. Bilkul sachhi kahavat.
सुंदर कथन, सुंदर चित्र।आपके पापा की कहावतें बिलकुल सही हैं।
very nice meaningful creation...
बहुत सुन्दर चित्रों से सजी हुई पोस्ट!
मैं अपने ब्लॉग पर आपका स्वागत करती हूँ! कृपया मेरी पोस्ट के बारे में अपने सुझावों से अवगत कराने की कृपा करें। आपकी आभारी रहूँगी।
bilkul sahi kahawat kahi hai|
ReplyDeleteसिर्फ़ काशी देखा है।
ReplyDeletesahi kaha
ReplyDeletebilkul sahi kahawat....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर |
ReplyDeleteबधाई ||
Stills are superb...
ReplyDeleteकहावतें तो बहुत अच्छी हैं, लेकिन सुधार कर लें तो और अच्छी लगेंगी।
ReplyDeleteकाशी जैसी भोर नहीं,
बंबई जैसी शाम नहीं,
कोलकाता जैसी रात नहीं।
नीलेशजी से सहमत...लिखने से पहले अगर वर्तनी शुद्धि कर ली जाए तो सोने पे सुहागा हो जाए...
ReplyDeleteIt's true ! Nothing could be more beautiful than the mornings of Holy city Varanasi .
ReplyDeletebahut hi sundar varnan. Itni sundar ki galtiyaan nazr hi nahi aa rahi. Bilkul sachhi kahavat.
ReplyDeleteसुंदर कथन, सुंदर चित्र।
ReplyDeleteआपके पापा की कहावतें बिलकुल सही हैं।
very nice meaningful creation...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्रों से सजी हुई पोस्ट!
ReplyDelete