वह जो मेरा है
मेरे पास होकर भी मुझ से बहुत दूर है.
पास आने के मेरे उसके खयाल
आश्चर्य का छायाचित्र बन दीवार पर टँगे हैं,
द्विआयामी अस्तित्व में हम अवाक देखते हैं
हमारे बीच की ऊँची दीवार.
मेरे पास होकर भी मुझ से बहुत दूर है.
पास आने के मेरे उसके खयाल
आश्चर्य का छायाचित्र बन दीवार पर टँगे हैं,
द्विआयामी अस्तित्व में हम अवाक देखते हैं
हमारे बीच की ऊँची दीवार.
मेरे लिए भी कोई सोचता है
अँधेरे में तारों की रोशनी में उसे देखता हूँ
दूर खिड़की पर उदास खड़ी है. दबी हुई मुस्कान
जो दिन भर उसे दिगन्त तक फैलाए हुए थी
इस वक्त बहुत दब गई है.
अनगिनत सीमाओं पार खिड़की पर वह उदास है.
उसके खयालों में मेरी कविताएँ हैं. सीमाएँ पार
करते हुए गोलीबारी में कविताएँ हैं लहूलुहान.
वह मेरी हर कविता की शुरुआत.
अँधेरे में तारों की रोशनी में उसे देखता हूँ
दूर खिड़की पर उदास खड़ी है. दबी हुई मुस्कान
जो दिन भर उसे दिगन्त तक फैलाए हुए थी
इस वक्त बहुत दब गई है.
अनगिनत सीमाओं पार खिड़की पर वह उदास है.
उसके खयालों में मेरी कविताएँ हैं. सीमाएँ पार
करते हुए गोलीबारी में कविताएँ हैं लहूलुहान.
वह मेरी हर कविता की शुरुआत.
अनगिनत सीमाओं पार खिड़की पर वह उदास है.
ReplyDeleteउसके खयालों में मेरी कविताएँ हैं. सीमाएँ पार
करते हुए गोलीबारी में कविताएँ हैं लहूलुहान.
वह मेरी हर कविता की शुरुआत....bahut bhaa gaye yeh alfaaz.very nice.
सुंदर कविता
ReplyDeletemere blog pe aane aur अनगिनत सीमाओं पार खिड़की पर वह उदास है.
ReplyDeleteउसके खयालों में मेरी कविताएँ हैं. सीमाएँ पार
करते हुए गोलीबारी में कविताएँ हैं लहूलुहान.is behtarin kavita bhav bibhor kar dene wali panktiyan likhne ke liye hardik dhanyawad
बहुत सुन्दर भाव संयोजन्।
ReplyDeleteबेहतरीन ||
ReplyDeleteबधाई ||
bahtareen shuruaat
ReplyDeleteमुझे ये बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है की हिंदी ब्लॉगर वीकली{१} की पहली चर्चा की आज शुरुवात हिंदी ब्लॉगर फोरम international के मंच पर हो गई है/ आपकी aek उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज सोमवार 25/07/11 को इस मंच पर की गई है /इस मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है /आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/इस मंच का लिंक नीचे लगाया है /आभार /
ReplyDeletewww.hbfint.blogspot.com
बहुत सुन्दर भाव.....
ReplyDeleteवाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
ReplyDeleteवाह :)
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन कविता|
ReplyDeletethats great poem......?
ReplyDeleteaafareen.....!
ReplyDeleteबहुत अच्छी नये प्रतीक विधान से सजी कविता इट विद्या जी .
ReplyDeleteखबसूरत और बेहतरीन शुरुवात...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! बेहतरीन प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
आपका शुक्रिया करने आया ,दोबारा पढ़ी यह रचना ,और भी डेफ्थ लिए मुखर हुए भाव -विभाव -अनुभाव ,
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteआभार
बहुत बेहतरीन सुंदर रचना|
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