रिश्ते नाते प्यार मोहब्बत
मेरे तो दुनिया थे वह मगर |
सब रह कर भी मेरे कोई नहीं
मेरे तो दुनिया थे वह |
लगता है अब रो दू
रिश्ते नाते प्यार मोहब्बत
सब छुट है |
प्यार को मै जब -जब तलास करती हु
मिलता तो है
मगर धोका ?
क्या करे ?
यह आसू पोछने वाला भी कोई
सब है मगर कोई नही
कितनी इतनी महिलाये है
वह कह नही सकती
अपने ही अंदर घुटती रहती है |
क्या करे वह?
सब अपने अंदर समा के रखती है |
क्या वह प्यार के हक दार नही ?
आप की क्या राय
आप की क्या राय
बेहतरीन शब्द रचना ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ब्लॉग
ReplyDeleteविद्या जी,
ReplyDeleteआपका ब्लोग शानदार है !
आपकी रचनाएं अच्छी हैं !
बधाई !
जरुर प्यार की हक़दार हैं
ReplyDeleteमाँ बेटी बहन ||
सब बड़े प्यारे रिश्ते हैं ||
फिर निर्णय तो उसका अपना है ||
अच्छे-बुरे सभी तरह के इन्सान भरे है इस दुनिया में |
सहनशक्ति बढ़नी होगी ||
बहुत बेहतरीन शब्द रचना ।
ReplyDeleteप्रयास अच्छा है।
ReplyDeleteथोड़ा त्रुटियों/अशुद्धियों पर भी ध्यान दें।
हां, तस्वीर बहुत अच्छी लगाई है आपने।
सहज अभिव्यक्ति.उपरोक्त टिप्पणी पर अवश्य अमल करो.
ReplyDeletecommendable effort..
ReplyDeletekeep going...
नारी से ही दुनिया की शुरुआत होती है,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
एक सहज सरल सी मगर दमदार रचना
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुती...
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन शब्द रचना ।
ReplyDelete