भगवान से पहले गुरु
हिन्दू धर्म में आषाढ़ पूर्णिमा (इस वर्ष २५ जुलाई) गुरु भक्ति को समर्पित गुरु पूर्णिमा का दिन भी है। भारतीय सनातन संस्कृति में गुरु को सर्वोपरि माना है। वास्तव में यह दिन गुरु के रुप में ज्ञान की पूजा का है। गुरु अज्ञान रुपी अंधकार से ज्ञान रुपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु धर्म और सत्य की राह बताते हैं। गुरु से ऐसा ज्ञान मिलता है, जो जीवन के लिए कल्याणकारी होता है।
जब अध्यात्म क्षेत्र की बात होती है तो बिना गुरु के ईश्वर से जुडऩा कठिन है।
गुरु से दीक्षा पाकर ही आत्मज्ञान, ब्रह्मज्ञान प्राप्त होता है।
हिन्दु धर्म ग्रंथों में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश माना गया है।
गुरुब्र्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरा:।
गुरुर्साक्षात् परब्रह्मï तस्मै: श्री गुरुवे नम:॥
सार यह है कि गुरु शिष्य के बुरे गुणों को नष्ट कर उसके चरित्र, व्यवहार और जीवन को ऐसे सद्गुणों से भर देता है। जिससे शिष्य का जीवन संसार के लिए एक आदर्श बन जाता है। ऐसे गुरु को ही साक्षात ईश्वर कहा गया है। इसलिए जीवन में गुरु का होना जरुरी है।
हिन्दु धर्म ग्रंथों में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश माना गया है।
गुरुब्र्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरा:।
गुरुर्साक्षात् परब्रह्मï तस्मै: श्री गुरुवे नम:॥
सार यह है कि गुरु शिष्य के बुरे गुणों को नष्ट कर उसके चरित्र, व्यवहार और जीवन को ऐसे सद्गुणों से भर देता है। जिससे शिष्य का जीवन संसार के लिए एक आदर्श बन जाता है। ऐसे गुरु को ही साक्षात ईश्वर कहा गया है। इसलिए जीवन में गुरु का होना जरुरी है।
बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteshandaar prastuti
ReplyDeleteसच कहा है ... गुरु बिन गत नहीं ...
ReplyDeleteहमें हर कदम पर किसी न किसी गुरु की जरूरत पड़ती है जीवन में ...
गुरू राह दिखाता है। वह सब से बड़ा सत्य है। भगवान से अपुन को कोई वास्ता नहीं।
ReplyDeletesundar prastuti ||
ReplyDeleteदोनों का अपना महत्व है।
ReplyDeleteमाता-पिता जन्म देते हैं गुरू हमें गढ़ता है....
ReplyDeleteबहुत सुंदर...
very nice...
ReplyDeleteachchhi prastuti:)
ReplyDeleteज्ञानवर्धक लेख .....
ReplyDeleteगुरु वास्तव में ईश्वर से पहले हैं ....
ज्ञानवर्धक और सार्थक पोस्ट
ReplyDeleteआपका तहे दिल से शुक्रिया मेरे ब्लॉग पे आने के लिए और शुभकामनाएं देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद/शुक्रिया..
ReplyDeleteगुरु एवं माता-पिता दोनों भगवान समान होते हैं और हमें उनसे शिक्षा मिलती है और ज्ञान प्राप्त करते हैं! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteसही कहा आपने .... गुरु गोविन्द दोऊ खड़े ,काके लंगू पाय बलिहारी गुरु आपकी ,गोविन्द दियो बताय
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी बात कही।
ReplyDelete............
प्रेम एक दलदल है..
’चोंच में आकाश’ समा लेने की जिद।
the place of guru is important in every once life
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा है. दक्षिण भारत के ब्राह्मणों में पहला गुरु पिता ही बनता है. उपनयन के समय.
ReplyDeleteजय गुरुदेव
ReplyDeleteआप सब का स्वागत है
ReplyDeleteguru kii paribhasha ko bakhubi vykat kia hai apne . badhi ho itni achi prastuti ke ley
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसही कहा है आपने, गुरू ही ईश्वर तक पहुँचाने की सीढ़ी है!
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