Tuesday, July 26, 2011

क्यों करें भगवान से पहले गुरु की पूजा

भगवान से पहले गुरु                              

 हिन्दू धर्म में आषाढ़ पूर्णिमा (इस वर्ष २५ जुलाई) गुरु भक्ति को समर्पित गुरु पूर्णिमा का दिन भी है। भारतीय सनातन संस्कृति में गुरु को सर्वोपरि माना है। वास्तव में यह दिन गुरु के रुप में ज्ञान की पूजा का है। गुरु अज्ञान रुपी अंधकार से ज्ञान रुपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु धर्म और सत्य की राह बताते हैं। गुरु से ऐसा ज्ञान मिलता है, जो जीवन के लिए कल्याणकारी होता है। 

गुरु शब्द का सरल अर्थ होता है- बड़ा, देने वाला, अपेक्षा रहित, स्वामी, प्रिय यानि गुरु वह है जो ज्ञान में बड़ा है, विद्यापति है, जो निस्वार्थ भाव से देना जानता हो, जो हमको प्यारा है। गुरु का जीवन में उतना ही महत्व है, जितना माता-पिता का। माता-पिता के कारण इस संसार में हमारा अस्तित्व होता है। किंतु जन्म के बाद एक सद्गुरु ही व्यक्ति को ज्ञान और अनुशासन का ऐसा महत्व सिखाता है, जिससे व्यक्ति अपने सद्कर्मों और सद्विचारों से जीवन के साथ-साथ मृत्यु के बाद भी अमर हो जाता है। यह अमरत्व गुरु ही दे सकता है। सद्गुरु ने ही भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया। इसलिए गुरुपूर्णिमा को अनुशासन पर्व के रुप में भी मनाया जाता है। इस प्रकार व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास गुरु ही करता है। जिससे जीवन की कठिन राह को आसान हो जाती है। 
जब अध्यात्म क्षेत्र की बात होती है तो बिना गुरु के ईश्वर से जुडऩा कठिन है।
 गुरु से दीक्षा पाकर ही आत्मज्ञान, ब्रह्मज्ञान प्राप्त होता है। 
हिन्दु धर्म ग्रंथों में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश माना गया है। 

गुरुब्र्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरा:।

गुरुर्साक्षात् परब्रह्मï तस्मै: श्री गुरुवे नम:॥

सार यह है कि गुरु शिष्य के बुरे गुणों को नष्ट कर उसके चरित्र, व्यवहार और जीवन को ऐसे सद्गुणों से भर देता है। जिससे शिष्य का जीवन संसार के लिए  एक आदर्श बन जाता है। ऐसे गुरु को ही साक्षात ईश्वर कहा गया है। इसलिए जीवन में गुरु का होना जरुरी है।

22 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  2. सच कहा है ... गुरु बिन गत नहीं ...
    हमें हर कदम पर किसी न किसी गुरु की जरूरत पड़ती है जीवन में ...

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  3. गुरू राह दिखाता है। वह सब से बड़ा सत्य है। भगवान से अपुन को कोई वास्ता नहीं।

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  4. दोनों का अपना महत्व है।

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  5. माता-पिता जन्म देते हैं गुरू हमें गढ़ता है....
    बहुत सुंदर...

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  6. ज्ञानवर्धक लेख .....
    गुरु वास्तव में ईश्वर से पहले हैं ....

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  7. ज्ञानवर्धक और सार्थक पोस्ट

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  8. आपका तहे दिल से शुक्रिया मेरे ब्लॉग पे आने के लिए और शुभकामनाएं देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद/शुक्रिया..

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  9. गुरु एवं माता-पिता दोनों भगवान समान होते हैं और हमें उनसे शिक्षा मिलती है और ज्ञान प्राप्त करते हैं! उम्दा प्रस्तुती!

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  10. सही कहा आपने .... गुरु गोविन्द दोऊ खड़े ,काके लंगू पाय बलिहारी गुरु आपकी ,गोविन्द दियो बताय

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  11. the place of guru is important in every once life

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  12. बिलकुल सही कहा है. दक्षिण भारत के ब्राह्मणों में पहला गुरु पिता ही बनता है. उपनयन के समय.

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  13. आप सब का स्वागत है

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  14. guru kii paribhasha ko bakhubi vykat kia hai apne . badhi ho itni achi prastuti ke ley

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  15. सही कहा है आपने, गुरू ही ईश्वर तक पहुँचाने की सीढ़ी है!

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